इंदौर. क्राइम ब्रांच ने आयुष विभाग, ड्रग विभाग, हातोद और एरोड्रम पुलिस के साथ मिलकर मिलावटी दवाई बनाने वालों का भांडाफोड़ किया है। टीम ने यहां से संचालक सहित दो लोगाें को गिरफ्तार किया है, जबकि मालिक फरार है। ये लोग कारखाने में सोनामिन्ट नामक टेबलेट्स बनाते थे, लेकिन इसके निर्माण में उपयोग होने वाला सोडियम बाय कार्बोनेट बहुत की निचली श्रेणी का होता था, जिसे मेडिकल के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता। ये लोग एक दर्जन से ज्यादा फार्मा कंपनियों को होलसेल रेट में माल सप्लाई करते थे। टीम ने फैक्ट्री को सील करते हुए यहां से 30 बोरे एक्सपायर दवाई जब्त करने के साथ अन्य सामग्री के नमूने लिए हैं। फैक्ट्री चाचा संचालित करता था, जबकि लायसेंस भतीजे के नाम पर ले रखा था।
क्राइम ब्रांच को मुखबीर से सूचना मिली थी कि शिक्षक नगर में एक व्यक्ति मिलावटी दवाई बनाने का गोरखधंधा चला रहा है। सूचना पर टीम ने आयुष विभाग, ड्रग विभाग, हातोद और एरोड्रम पुलिस के साथ मिलकर मिलावटी दवाई बनाने वाले कारखाने पर दबिश दी। टीम ने यहां से संतोष पाटिल निवासी धर्मराज काॅलोनी इंदौर और संचालक नरेन्द्र जैन निवासी कालानी नगर को पकड़ा। जांच में पता चला कि यहां पर सोनामिंट नाम से दवाई बनाई जाती है, जिसे होल सेल मार्केट में बेचा जा रहा है। टीम को यहां से सोनामिंट दवाई की लाखों टेबलेट मिलीं। इन्हें संचालक जैन यहां पर निर्मित करवाता था।
17 रुपए का एक पैकेट
सोनामिन्ट बनाने के लिए सोडियम बाय कार्बोनेट 250 एमजी, मेनथॉल 3 एमजी, जीजर 10 एमजी, रमेंट ऑइल 24 एमएल और शक्कर व कलर मिलाकर बनाया जाता था। जैन 17 रुपए में 1000 टेबलेट का एक पैकेट बनाकर बेचता था। मार्केट में इसकी कीमत 60 रुपए है। इस दवाई को बनाने के लिए जो सोडियम बाय कार्बोनेट उपयोग किया जाता था, वह उपयोग लायक नहीं होता था। कारखाने ऐसी 27 बोरियां सोडियम बाय कार्बोनेट की मिली हैं। जैन ने इसके लिए भतीजे राजू बंबोरिया के नाम से लायसेंस ले रखा था। दवाइयों को बनाने के लिए यहां पर जैन ने दो मशीनें भी डाल रखी थीं। मामले में आयुष विभाग ने यहां मौजूद दवाई और अन्य सामग्री के सैंपल लेकर एरोड्रम पुलिस के समक्ष धोखाधड़ी का केस दर्ज करवाने के लिए प्रतिवेदन दिया है। इसमें संचालक नरेन्द्र जैन, मालिक राजू बंबोरिया और कर्मचारी संतोष पाटिल का नाम दर्ज है। मामले में पुलिस ने संचालक नरेन्द्र जैन और कर्मचारी संतोष पाटिल को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि राजू बंबोरिया पुलिस गिरफ्त से दूर है।
पालिया में एक और फैक्ट्री में बनती थी एलोपैथिक दवा
आरोपी नरेंद्र ने बताया कि 2000 से 2009 तक वह एलोपैथिक दवाई बनाने का काम करता था। 2009 से उसने आयुर्वेदिक दवाई बनाने का काम शुरू किया था। वह इन दवाइयों को शहर की कई फार्मा एजेंसियों को दवा बाजार में होल सेल में सप्लाय करता था। उसने बताया कि हातोद में पालिया रोड पर उसके भतीजे राजू बंबोरिया का एक और कारखाना है, जिसमें एलोपैथिक दवाइया बनाई जाती हैं। जानकारी के बाद एक टीम यहां भी पहुंची और जांच की। यहां पर भी लायसेंस में के उल्लंघन के साथ ही कई अनियमितताएं पाई गईं। यहां पर कैप्सूल, टेबलेट और सायरप का निर्माण किया जा रहा था। टीम ने पालिया स्थित फैक्ट्री में मौजूद सामग्री के नमूने लिए और उसे सीलबंद कर दिया। आरोपी जैन ने बताया कि ये दवाएं एसिडिटी और गैस की समस्या से पीड़ित लोगों के उपयोग में आती हैं। टीम को यहां से 2009 की एक्सपायर्ड दवा के करीब 30 बोरे मिले हैं।